चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर की कविताएं

कविता का आंचल
  
कविता को मिला इतना
---बड़ा आंचल
वही---हां ---वही बांध सकती 
इसके एक छोर से
दुख को गिरह पारकर 
चाहे वह जितना हो
मात्र और भार में

वह एक बैलगाड़ी भर ही क्यों न हो
एक ट्रक भर---
एक रेलगाड़ी भर---
या कह लो विपुल पृथ्वी भर ही क्यों न हो 

तो भी बांध सकती वह दुख को
अपने आंचल के एक छोर से
गिरह पारकर Subscribe Now

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