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छली गई मासूमियत तब
जादूगरी सीख पाए हैं
रोए पहले बहुत बाद में ये
मसखरी सीख पाए हैं
नाच नचाता जादूगर ये
कठपुतली बन नाचा भी है
हाथ उठाना सीखा तब जब
गहरे छपा तमाचा भी है
सीखी बहुत बाद में हमने
ये चुटकुले तमाशेबाजी
कितने दिन तो कविता का ही
अक्षर अक्षर बांचा भी है
लज्जाशील सत्यवादी पहली