‘हे, रामू!’ मेरा बेटा चिल्लाया।
वह कार के पीछे छिपती हुई आकृति के पीछे भागा। मैंने स्पष्ट रूप से छिपते हुए लड़के को देखा था। इसमें कोई शक नहीं, वह रमेश उर्फ रामू ही था। लेकिन मेरा बेटा उसे ठीक से नहीं देख पाया था। जल्द ही वह भीड़ में गायब हो गया। मुझे डर था कि कहीं मैं अपने बेटे को भी ना खो दूं। मैं उसके पीछे दौड़ा और उसका हाथ पकड़ लिया।
‘वह मुझसे क्....