‘मेरी बात’ पढ़कर व्यथित हो गया
आपका फरवरी अंक 2024 का अंक पढ़ा संकलन प्रभाव है किंतु मेरी बात/अपूर्वµ‘हिंदू होने का मर्म’ पढ़कर मन व्यथित हुआ। किसी विद्वान व्यक्ति का विचार ऐसा एकतरफा सोच रखता है यह दुखद है। मैं भी आपकी तरह किसी अवतार को नहीं मानता किंतु उसके रचैयता द्वारा जो जीवन का सोच का तर्क-वितर्क प्रभावित करता है ....