सूर्यबाला

रोहित मेरी समस्या नहीं, उपलब्धि है मेधा...!

वसु-बहुत पेरशान हो जाते हो न कभी-कभी दादा! ढेर सारी उलझनों के बीच न्याय के सूत्र टटोल पाने के लिए? कभी कहा नहीं, तुमने लेकिन जानती हूं तुम्हारी छठी इंद्रिय ज्यादा ही सक्रिय रहती है। तुमसे à....

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