सà¥à¤¦à¥‡à¤¶ कà¥à¤®à¤¾à¤° मेहर
मैं गà¥à¤²à¤®à¥à¤¹à¤°Â
यहां इस गà¥à¤²à¤®à¥à¤¹à¤° के तने से टिककर मैं उसका इंतजार किया करता था---वहां उस ओर से वो कॉलेज के लिठरोज आया करती थी।
‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ गà¥à¤²à¤®à¥à¤¹à¤° बहà¥à¤¤ पसंद है’ ---बाद के दिनों में उसने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछा था।
हà....
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