राजेंद्र राजन

वोट का टेंडर

गांव के बूढ़े, जर्जर और सदियों पुराने बरगद की छाया में पंचायत की वह पहली बैठक थी। सब गुमसुम। ग़मग़ीन। उदास। जैसे किसी सगे का दाह संस्कार कर लौटे हों। सबके मुंह लटके हुए थे। लकवा मार गया हो मानों उन्हें। भीड़ में से एक साठ साल का बुर्जुग उठा। गमछे से अपने माथे और मुंह का पसीना साफ करते हुए जमावड़े की चीरता हुआ बरगद के स्लेटी चबूतरे पर आकर बैठ गया। भीड़ में हलचल, खुसर-पुस....

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