उर्मिला शिरीष

परिंदों का लौटना

खुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वा की धार
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार
                             -अमीर ख़ुसरो
‘मैं तुमसे मिलने आ रहा हूं।’ दूर बहुत दूर से आती आवाज ने जैसे ठहरकर कहा!
‘क्यों। क्यों मिलना चाहते हो।’ एक ठुमकता-सा निर्दय उत्तर।
‘मैं तुम्हें देखना चाहता हूं।’ उत्सुकता की लहर से आहट उठी छपाक!
‘देखते तो ....

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