अनुवाद (विशेषकर साहित्यिक कृतियों का) का कार्य एक जटिल प्रक्रिया से गुजरता है। साहित्य में सीधे-सादे दिखते शब्द कई बार टेढ़े-मेढ़े अर्थ दे रहे होते हैं। उनकी ध्वनियों को अगर ठीक-ठीक पकड़ कर अनुवाद नहीं किया गया तो सारी मेहनत बेकार हो सकती है। इसलिए समर्पित अनुवादक, रचना और उसमें वर्णित लोक और उसकी भाषा को पूरी तरह आत्मसात करने का प्रयास करता है। संभव हो तो मूल ....