प्रमोद बेडि़या

प्रमोद बेडि़या की छह कविताएं

राजा का हंसना

घृणा के खूंखार समंदर को
पछाड़े मारते देख कर
हंसते हुए राजा का सिंहासन
भी हिलेगा 
हिलेगा ही 
यह यकीन है 
उन्हें इसी उम्मीद पर
ये फटेहाल, भूखे, बदहाल लोग
जीते चले आ रहे हैं

उन्हें यकीन है
हम भी यकीन रखें
लहरें, सिंहासन तक
पहुंचन....

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