मृन्मय डे

मृन्मय डे की पांच कविताएं 

एक चिट्ठी तुम्हारे नाम 

एक मैं लौटूंगा, फिर लौट कर आऊंगा
ये घर, ये आंगन, ये दीवार 
सब तो तुम्हारा ही है
तुम न होती 
तो ये दीवार, ये छत, ये आंगन
घर नहीं होता
ये जो पीले
सूरà¥....

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