मनीष वैद्य

स्त्री मन की अदेखी गिरहें

सुकन्या से आज की स्त्री तक के हजारों साल लंबे फासलों पर पुल की तामीर करती हुई सिनीवाली अपने ताजा उपन्यास ‘हेति’ में हजारों साल पहले की एक कथा कहती हैं लेकिन कथा की जड़ें वहां होने के बावजूद उपन्यास सिर्फ वह एक कहानी भर नहीं सुनाता। बल्कि सदियों की तमाम हदें लांघकर हमारे आज के समय में दाखिल हो जाता है और ऐसे-ऐसे सवाल खड़े करता है कि हम निरुत्तर रह जाते हैं। ‘हेति’ सि....

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