रुचि बहुगुणा उनियाल

रुचि बहुगुणा उनियाल की छह कविताएं

पहाड़ी औरतें 

पहाड़ की औरतें 
सूरज को जगाती हैं 
मुंह अंधेरे 
बनाकर गुड़ की चाय
और उतारती हैं 
सूर्य रश्मियों को 
जब जाती हैं ‘धारे’’ में 
भर लेती हैं सूरज की किरणों को
जब भरती हैं 
‘बंठा’ धारे के पानी से 
पहाड़ की औरतें रखती हैं 
सूरज के लिए 
कुछ पल आराम के 
भरी दुपहरी में 
सुस्ता लेता ....

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