किरण अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²
किरण अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² की चार कविताà¤à¤‚
सपने के à¤à¥€à¤¤à¤°
जब आततायी घà¥à¤¸à¥‡ आधी रात उसके घर में
मौत बरसाते हà¥à¤
वह सपने में था
सपना जो धीरे-धीरे अपने पंख पसार रहा था
उड़ान à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिà¤
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबसे पहले उस सà¥à¤•à¥‹à¤®à¤² सपने ....
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