अनिल गोयल

एक थी लड़की उर्फ वे कुछ पल

कीर्ति ने डायरी मेज पर रखकर भुवन की ओर देखा--- और एक लंबी सांस भर कर चुप कर रही। भुवन भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या बोले!
यूं ही बैठे कुछ देर बीती--- भुवन ने डायरी उठाई और अपने हाथों में ले कर उसे देखता रहा, डायरी को बिना खोले, जैसे बाहर से ही उसे पढ़ रहा हो--- फिर बोला, ‘हं--- ‘एक थी लड़की! उसे एक लड़के से प्रेम हो गया था।’ अरे--- ऐसे भी भला कोई कहानी लिखी जाती है? हर कहानी में एक लड़की हो....

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