स्नेह लता नेगी

लोसर

अपू घर की खिड़की से बर्फ को निहारते हुए रोमांचित हो रही थीं। उनकी आंखों में रोमांच और सुकून का सम्मिश्रित भाव देखा जा सकता था। वह कहने लगीं ‘सोनम देख ना हमारा गांव, जंगल, खेत-
खलिहान सब बर्फ के लिहाफ में कैसे सुकून की नींद सो रहे हैं। सब कुछ थम गया है। बर्फ पड़ने के साथ लोगों का खेत खलिहान जंगल की और आना-जाना थम जाता है। प्रकृति भी जानती है कि उसे और मनुष्य दोनों को थोड़े ....

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