दीपा गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾
अजंता: à¤à¤• पारदरà¥à¤¶à¥€ कैनवास
शाम का धà¥à¤‚धलका पसरने लगा था। सà¥à¤°à¤®à¤ˆ शाम और डूबते सूरज की पतली लाल धारा आकाश में बह रही थी। आकाश रंगीला सा था। उसने खिड़की से बाहर à¤à¤¾à¤‚का तो दूर पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§ बगà¥à¤²à¥‡ अपने सफेद पंखों को फैलाकर ....
Subscribe Now