‘तुम्हें कुछ भी नहीं करना है।’ समझाइश के अंदाज में खातून ने निसार की तरफ देखा, ‘तुम बस इतना बता दो कि कहां छोड़ आए हो अपने अब्बा को?...’
जवाब में निसार ने सिर उठाकर मां की तरफ देखा और खामोश रह गया।
देर रात वह जब लौटा था तो नफीसा के साथ ही खातून भी उसका बड़ी बेसब्री और बेचैनी से इंतजार कर रही थी। लाख पूछने के बावजूद एक लफ्रज भी नहीं फूटा था उसके मुंह से उस वक्त। नशे के ....