उजालों से डर
जब डोलता है ईमान
हो जाते हैं
अंधेरे भी बेईमान
और डरने लगता है
लालची मन
उजालों से।
नौटंकी
वह
बैठे-बैठे रोने लगती है
और जी हल्का कर लेती है
हंस पड़ती है दुनिया
बोलती
कैसी यह नौटंकी
सुनते-सुनते उब जाती है
सोचती है
जिस दिन बंद होगी नौटंक....