सारिका भूषण

सारिका भूषण की कुछ कविताएं

उजालों से डर

जब डोलता है ईमान 
हो जाते हैं 
अंधेरे भी बेईमान
और डरने लगता है 
लालची मन 
उजालों से।

नौटंकी

वह 
बैठे-बैठे रोने लगती है 
और जी हल्का कर लेती है 
हंस पड़ती है दुनिया 
बोलती 
कैसी यह नौटंकी 
सुनते-सुनते उब जाती है 
सोचती है 
जिस दिन बंद होगी नौटंक....

Subscribe Now

पूछताछ करें