मि. मूर्ति का रिटायरमेंट
दफ्तर आते ही आज वह थोड़ा भावुक हो गया था।
पिछले पांच सालों से वह इसी दफ्तर में पदस्थापित था और इस संस्थान में काम करते हुए उसके तीस साल गुजर गए थे। इन सालों में उसने कहां-कहां काम नहीं किए। संस्थान ने बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी देकर धुर गांव-देहात से लेकर महानगर में पद स्थापित किया। समय इतनी तेजी से निकल गया उसे पता ....