कथाकार सर्वेश सिंह ने शोरगुल से दूर रहकर अपनी रचनात्मकता की भूमि को निरंतर उर्वरा बनाया है। उनकी पहली कहानी (2007) ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ पाखी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। वह कहानी न केवल चर्चित हुई थी बल्कि यह भी तय हो गया था कि कहानी की दुनिया में एक नया सितारा उतर आया है। सर्वेश सिंह ने कहानी लेखन में अपनी निरंतरता बरकरार रखी और एक के बाद दूसरी कहानी लिखते चले ग....