ब्रजेश

अनामिका: परिवार में शामिल हैं सब

हंस, इंडिया टू डे वार्षिकी में जब-तब अनामिका से मुलाकात हो जाती। उन्हे पढ़ना मुलाकात जैसी ही होती। रचना इनर स्पेस स्वतः बना लेती। बेलौस बतरस और प्रसंगवश छौंक।
सृजन संवाद लगभग सभी साहित्यकारों को भेजी जाती थी, उन्हें भी भेजी जाती। 
बचपन से ही बारिश सबसे प्रिय, फिर जाड़ा। कालक्रम में शीत ट्टतु में पहाड़ों की सैर प्रिय शगल बन गया। धुंध में सोए गगनचुंबी पहाड़---सर्वत्र ....

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