भेड़ चाल
अनंत इच्छाएं
स्वार्थी मन
बिगडते रिश्ते
मृत तन
अधूरे हम
झूठा साया
झूठी मोह माया
अतृप्त प्यास
संवेदनशून्य अहसास
दबे हुए है इच्छाओं के बोझ तले
टांग के गठरी ख्वाहिशों की
चले जा रहे हैं
लड़खड़ा रहे हैं कदम
मगर चले जा रहे हैं
अंधाधुंध
भेड़ चाल में
पिस रहे हैं
टीस र....