मल्हार
हवा पर आरूढ़
बादलों से
उतरती बारिश का संगीत सुनता हूं
जैसे सौ तारों वाले संतूर पर
शिवकुमार मल्हार छेड़ते
खुद मल्हार सा बज उठते हैं
मैं तुम्हारी बारिश में नहाता हूं
कि संतूर से उतरते मल्हार में
कहना कठिन
हां! प्रेम की प्रफुल्ल
मल्हार में रूह तक खिल जाता हूं।