रामशरण जोशी

मुक्ति

‘उरमी बेटा, हम समझते हैं तुम्हें दिल्ली जाकर आईएएस की तैयारी करनी चाहिए।’ कपूर साहब ने अपनी राय दी। उनकी पत्नी ने भी उनका समर्थन किया। 
‘पर सर, दिल्ली में तो मेरा कोई संपर्क है नहीं।’ उरमी के पिता ने अपनी सीमा बतलायी। 
‘इसकी वरी मत करो। मेरे एक बेच मेट हैं डॉ. ललितेश्वर झा। वे शिक्षा मंत्रलय में डिप्टी सेक्रेटरी हैं। बिहार कैडर के हैं। मैं उनसे बोल दूंगा। ....

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