निशांत

बाघ: एक लोककथा बनते-बनते रह गई

आज जब फिर से बाघ पढ़ रहा हूं तो समझ पा रहा हूं-एक अजीब कॉकटेल है बाघ कविता में। लोक कथाएं यहां बार-बार आती है-बुद्ध की, राजा की, रानी की, किसान की, एक औरत की,पाणिनी की, पहाड़ की। लोक कथाओं के साथ-साथ समकालीन जीवन भी आता है। एक बुढ़िया आती है, शहर आता है, शहर में माचिस आती है, चाय आता है, प्रेम आता है, आम के पेड़ आते हैं, बगीचे आते हैं, उनकी खुशबू आती है। और तो और कुम्हार, बच्चा और कवि स्वयं आ....

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