सरोज राम मिश्रा

प्रकृति में घुल रहा हरा, फूटा उजास

एक कवि यदि चित्रकार है तो उसके शब्द ही नहीं बोलते हैं बल्कि उसका मौन भी चैतन्य होता है। ऐसा ही चैतन्य व्यक्तित्व हैं प्रयाग शुक्ल, कला और साहित्य का सुंदर व विशद सर्जक। मेरे लिए सुखद संयोग है कि मैं उनके ही अपार्टमेंट में रहती हूं। उनके सरल, आत्मीय व विराट शख्सियत के चलते मैं अक्सर ही उनके घर चली जाती हूं। उनके साथ बैठती हूं। उनका कहा सुनती हूं। और उनका अनकहा कैनवास पर उभ....

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