बिल्ली
दुख कभी कभी खुद को भूल सो जाता मेरी गोद में
आंखें मींचे जैसे एक बिल्ली।
2 दुख चाट जाता मेरे सब रहस्य जैसे बिल्ली भगोने में रखा दूध
इसी से चमकती उसकी आंखें रात के गहन अंधकार में।
3 दुख मेरी इबारत में बिल्ली की तरह आता
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।