बालकीर्ति

बालकीर्ति की कुछ कविताएं

बिल्ली

दुख कभी कभी खुद को भूल 
सो जाता मेरी गोद में 

आंखें मींचे
जैसे 
एक बिल्ली।

2
दुख चाट जाता मेरे सब रहस्य जैसे
बिल्ली भगोने में रखा दूध

इसी से चमकती उसकी आंखें 
रात के गहन अंधकार में।

3
दुख मेरी इबारत में 
बिल्ली की तरह आता 

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