स्मित वदन राम
अचानक दिख गए
बच्चों जैसा ही स्मित हास्य लिए राम
अपनी ही बाल सुलभ मुस्कान
उतार दी थी किसी बालक ने अपनी तूलिका से
राम के चेहरे पर
मिला सुकून
सूखे घास के बीच मिली हो
जैसे ओस की बूंद
स्मित वदन राम जो बस जाते हैं मन में सहज
अब दिखते नहीं
क्रोध में भी जो शालीन हैं
दिल को छूते हैं
मर्यादा के जो....