टर्की से सफरयां तक का रास्ता बहुत आसानी से कट गया। टर्की की नीली काशीकारी और नीलाहट लिए वहां का पानी और चमकीला माहौल पीछे छूट चुका था अब सफरयां गांव के खेतों की हरियाली, चापाकल का पानी और धूल भरा आसमान था, जहां उसके बचपन की यादों का घर था।
उसके चेहरे पर मीठी मुस्कान फैल गई। दिल से आवाज आई।
‘बहुत घूम लिया बहुत कमा लिया अब चैन से बाल-बच्चों के साथ रहूंगा, आखिर कब तक आद....