गांव के उस छोटे से पोखर में झांकी तो पानी बहुत साफ दिखाई दिया। अनिता वहां ही से पानी के कई घड़े भर लाती। यदा-कदा वहीं बैठी प्रकृति का सुंदर दृश्य ताकत रहती। वैसे तो अनिता का रंग सांवला था, पर नाक-नक्श तराशे से ही लगते। अनिता की मां सुनीता ने, उसे गांव से कुछ दूर के बड़े अनाथालय से खरीदा था, पर वह उसे अच्छे सजा-बजा कर रखती। वैसे तो उसकी भी इकलौती कन्या जो गोरी थी, पर नाक नक्श में अन....