प्रताप सहगल

वो क्या जाने पीर पराइ

‘कहीं खुलता कोई झरोखा’ अनिल गोयल का पहला उपन्यास है। उपन्यास पर बात करने से पहले हम अनिल गोयल के बारे में थोड़ा सा जान लेते हैं। अनिल गोयल मूलतः एक रंग-व्यक्तित्व हैं। उनकी छवि एक नाट्य-समीक्षक की है। उन्होंने बहुत सारे नाटकों की समीक्षाएं की हैं। एक अच्छा दर्शक होने के साथ-साथ वे एक अच्छे पाठक भी हैं। लिखने से पूर्व प्रस्तुत पुस्तक या प्रस्तुति पर वे उसके प....

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