—मूल लेखक : व्लैदिमिर नैबोकोव
—अनुवाद : सुशांत सुप्रिय
सड़क के अँधेरे आईने में अंतिम ट्राम ग़ायब हो रही थी । ऊपर बिजली के तारों का जाल था जिसमें से कभी-कभी तिड़कने की आवाज़ के साथ चिंगारियाँ निकलती थीं । दूर से वे किसी नीले सितारे जैसी लगती थीं ।
“ पैदल चलना ही ठीक होगा , हालाँकि तुम पिए हुए हो , मार्क । नशे में धुत्त ह....