अपूर्व जोशी

जो जिया, जैसे जिया

राजनीति पर, राजनीतिक विषयों पर, चौतरफा फैले भ्रष्टाचार, हाहाकार पर लिखते-लिखते 22 बरस होने को हैं। अब ऊब-सी होने लगी है। कुछ नया लिखने को रहा नहीं। देश और प्रदेशों में इन 22 बरसों के दौरान कितनी ही सरकारें बदलीं, कई जनआंदोलन हुए, पुराने, स्थापित चेहरे या तो काल कवलित या फिर सार्वजनिक जीवन से ओझल हो गए, आमजन के जीवन में कुछ खास लेकिन नहीं बदला। नई सरकार से जनता की अपेक्षाओं पर कल....

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