सभ्यताएं कहानियों के कंधे पर सवार होकर अपनी यात्र तय करती है। कहानी कहने-सुनने की परंपरा उतनी ही पुरानी है, जितना कि सभ्यताओं का इतिहास। मनुष्य के कुछ स्वाभाविक गुणों में कहानी कहना भी एक गुण है। इसलिए हर व्यक्ति किसी न किसी स्तर पर एक कहानीकार होता है। उसका यह कहानीकार अपने बच्चे को बहलाने में या कभी किसी गपबाजी में सामने आता ही है। इसी कहानीकार मन को सुव्यस....
